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VIVEK RESEARCH E-JOURNAL, Vol. VII, SPECIAL ISSUE NO. 1, MARCH, 2023

 

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  Index    
1 हिंदी आदिवासी साहित्य का स्वरूप, चुनौतियां और संभावनाएं डॉ. अशोक मोहन मरळे 1-3
2 आदिवासी कविता में व्यक्त प्रकृति चिंतन डॉ. आरिफ शौकत महात 4-7
3 संजीव की कहानी 'अपराध': अपराध के सांचों में कैद बेगुनाही की दास्तां                                                                                                        डॉ. दिपक जाधव 'अक्षर' 8-13
4 संजीव के कथा साहित्य में आदिवासी चेतना डॉ. माधव राजप्पा मुंडकर 14-16
5 आदिवासी अधिकार हनन की दूब: पाँव तले की दूब डॉ. दीपक रामा तुपे 17-19
6 आदिवासियों की दमित दासताँ : ‘आदिवासी नहीं नाचेंगे’             डॉ.प्रवीणकुमार न. चौगुले 20-24
7 हिंदी में अनुदित कविताओं में अभिव्यक्त आदिवासी जीवन                                     डॉ. विनायक बापू कुरणे 25-28
8 आदिवासी नारी के जीवन को तबाह करती अंधविश्वास की ‘डायन’       डॉ. सरिता बाबासाहेब बिडकर 29-31
9 डॉ. अनूप वशिष्ठ के गजलों में पर्यावरण विमर्श डॉ. अलका निकम-वागदरे 32-35
10 हिंदी साहित्य में पर्यावरण विमर्श 1.  प्रा. डॉ. नाजिम इसाक शेख
2. अश्विनी जगदीप थोरात
36-39
11 ‘‘मरंग गोडा नीलकंठ हुआ’’ उपन्यास में विस्थापन तथा प्रदुषण विमर्श प्रोफेसर डॉ. साताप्पा शामराव सावंत 40-42
12 "हिंदी  के  स्वातंत्र्योत्तर  पहाडी  आंचलिक उपन्यासों  में चित्रित उत्सव  पर्व त्यौहार"          प्रा. डॉ. मनीषा बाळासाहेब जाधव 43-48
13 समकालीन कविता में पर्यावरण प्रदूषण    डॉ. आर. पी. भोसले 49-51
14 हिंदी साहित्य में आदिवासी विमर्श प्रा. डॉ. एम. ए. येल्लुरे 52-53
15 जनजाति समाज और पर्यावरण के संबंध का भौगोलिक अध्ययन डॉ. संदीप रुपरावजी मसराम 54-57
16 “सुमित्रानंदन पंत का काव्य पर्यावरण चेतना के परिप्रेक्ष्य में” डॉ. कृष्णात आनंदराव पाटील 58-59
17 हिंदी साहित्य में पर्यावरण विमर्श डॉ. संतोष बबनराव माने 60-62
18 आदिवासी संवेदनाओं की दास्तां: ‘जंगल जहा शुरू होता है’ डॉ. संतोष तुकाराम बंडगर 63-66
19 अल्मा कबूतरी (उपन्यास) : कबूतरा आदिवासी जाति की यथार्थ दासता श्री. नीलेश  वसंतराव जाधव 67-68
20 आदिवासी समाज की समस्याएं 'काला पादरी' उपन्यास के संदर्भ में डॉ. रीना निलेश खिचडे 69-72
21 हिंदी  साहित्य में आदिवासी-विमर्श      प्रा. अपर्णा संभाजी कांबळे 73-75
22 गोस्वामी तुलसीदास एवं संत एकनाथ के साहित्य के परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण चेतना    डॉ. सागर रघुनाथ कांबळे 76-77
23 डेराडंगर आत्मकथा में चित्रित आदिवासी समस्याएँ कु. प्राजक्ता अंकुश रेणुसे 78-80
24 हिंदी साहित्य में आदिवासी विमर्श      वैशाली राजेंद्र मोहिते 81-83
25 आदिवासी जीवन के परिप्रेक्ष्य में ‘ग्लोबल गांव के देवता’ प्रा.सारिका राजाराम कांबळे 84-85
26 स्वयंप्रभा  : प्रकृति और मानव का अनंत संबंध प्रा. रोहिता केतन राऊत 86-89
27 अनबीता व्यतीत उपन्यास में पर्यावरण चित्रण श्रीमती प्राजक्ता राजेंद्र प्रधान 90-92
28 व्यवस्था केन्द्रित शोषण के खिलाफ विद्रोह की धधकती आग: ‘एनकाउंटर’                                       प्रा. किशोरी सुरेश टोणपे 93-95
29 ‘तीर : 1993 : अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष में’ कहानी में आदिवासियों में शैक्षिक चेतना श्री. सुरेश आनंदा मोरे 96-98
30 हिंदी साहित्य में पर्यावरण विमर्श श्री.श्रीकांत जयसिंग देसाई 99-101
31 आदिवासी विमर्श : चिंतन, सृजन एवं सरोकार माधुरी राजाराम चव्हाण (शिंदे) 102-105
32 “हिंदी उपन्यास साहित्य में आदिवासी विमर्श” श्री. सुभाष विष्णु बामणेकर 106-108
33 हिंदी साहित्य में पर्यावरण विमर्श कामिनी जनार्दन मोहिते 109-110
34 ‘पांव तले की दूब’ उपन्यास में चित्रित आदिवासी समस्याएँ प्रा. हणमंत परगोंडा कांबले 111-113
35 'स्वांग शकुंतला' के नाट्यगीतों का विश्लेषण और पर्यावरण   चन्द्र पाल 114-118
36 समकालीन कथा साहित्य में आदिवासी विमर्श कु. भाग्यश्री दादासाहेब चिखलीकर 119-120
37 सोशल मीडिया और पर्यावरणीय चिंता                                               अनिल विठ्ठल मकर 121-124

38
ग्लोबल गांव के देवता’ उपन्यास में आदिवासी समुदाय की समस्याएँ प्रा. अजय महेंद्र कांबळे 125-127
39 मधु कांकरिया के कथा साहित्य में चित्रित आदिवासी समाज आयेशाबेगम  अब्दुलबारी  रायनी 128-130
40 पर्यावरण विमर्श: चिंतन, सृजन एवं सरोकार श्री. आनंदराव आप्पासाहेब बेडगे 131-133
41 हिंदी साहित्य में पर्यावरण विमर्श सौ. अमिता प्रशांत कारंडे 134-136
42 हिंदी उपन्यास साहित्य में आदिवासी विमर्श सौ. अश्विनी अशोक देशिंगे 137-139