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Title of Article |
Author Name |
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1 |
छत्तीसगढ़ के विमुक्त अनुसूचित जाति नट एवं उनके खेल -तमाशाकानृजातिवृतांतात्मकअध्ययन |
हेमन्त कुमार
डॉ . जितेन्द्र कुमार प्रेमी |
1-7 |
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2 |
विमुक्त एवं घुमंतु जन समुदाय दशा एवं दिशा |
डॉ. आरिफ महात |
8-12 |
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3 |
भारतीय घुमंतू बंजारा समुदाय : समाजऔरसांस्कृतिकपरंपराओंकेपरिप्रेक्ष्यमें |
डॉ. शाहीन अजाज जमादार |
13-16 |
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4 |
विमुक्त एिंघुमंतूजनजावतयों की अिधारणा एिंस्िरुप |
व्यंकट धारासुरे |
17-19 |
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5 |
विमुक्त घुमंतु समुदाय का अतित एवं वर्तमान दशा- दिशा |
प्रा. युवराज सुभाष जाधव |
20-24 |
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6 |
“विमुक्तयाघुमन्तूसमुदाय : समाजएवंसंस्कृतिकेसन्दर्भमें” |
शेषांक चौधरी |
25-29 |
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7 |
मराठी लोक -संस्कृति के प्रचार-प्रसार में घुमंतू जातियों का योगदान |
संतोष वसंत कांबले
पूनम शर्मा |
30-33 |
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8 |
विमुक्त घुमंतू नारियों की दशा और दिशा |
प्रा .डॉ.संदिपतानाजीकदम |
34-37 |
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9 |
भारतीय साहित्य में विमुक्त और घुमंतू जनजातियों पर आधारित उपन्यासों का अध्ययन |
कु. सुषमा बाळाराम खोत |
38-41 |
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10 |
Literature of Deprived Classes |
Dr. Kalyan Shidram Kokane |
42-44 |
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11 |
महाराष्ट्रातील भटक्या विमुक्त पाथरवट जमातीचे सामाजिक जीवन |
उज्वला समाधान डांगे |
45-49 |
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12 |
भटक्या विमुक्त जाती जमाती : स्वरूपआणिव्याप्ती |
केशरचंद नारायण राठोड |
50-54 |
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13 |
महाराष्ट्रातील भटक्या विमुक्त जमातीचे सामाजिक जीवन |
डॉ. मंगेश भावराव पाटील |
55-60 |
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14 |
गोपाळ समाजजीवन |
ललिता मानसिंग गोपाळ |
61-64 |
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15 |
‘वळंबा’ आत्मकथन : सामाजिकता |
वीणा रमेश गुलदेवकर |
65-67 |
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16 |
लमाणांच्या आर्त वेदनांचे स्पंदन :लदनी |
श्री . गौरीशंकरदत्तात्रयखोबरे |
68-71 |
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17 |
“शिक्षणमहर्षी डॉ. बापूजी साळुंखे यांचे विचार व कार्य आणि भटक्या विमुक्त जाती–जमाती” |
सौ. शेख शबाना.एम.
प्रा. सचिन बबन साळवे |
72-75 |
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18 |
उपन्यास ‘अल्माकबूतरी’ : कबूतरा समाज का ताना – बाना |
डॉ . सरोजपाटील |
76-79 |
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19 |
भटक्या समाजातील स्त्रियांची आत्मकथने |
डॉ . सर्जेरावपद्माकर |
80-87 |
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20 |
छप्परबंद समाजाची सामाजिक स्थिती |
डॉ.मनिषा विनायक शिरोडकर |
88-92 |
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21 |
भटक्या विमुक्त जाती-जमातीच्या आत्मकथनांमधील सामाजिकता |
शितल संग्राम सालवाडगी |
93-98 |
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22 |
आदिवासी जमातीचे सामाजिक जीवन |
डॉ.ज्योती रामराव रामोड |
99-101 |
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23 |
“भटक्या विमुक्त जमातीची क्षेत्रीय पहाणी” |
डॉ. घाडगे डी. के. |
102-105 |
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24 |
“बंजारा समाजाचे सामाजिक जीवन” |
प्रा. आर्या सुनील कुलकर्णी |
106-109 |
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25 |
स्वातंत्र्याची पंच्याहत्तरी आणि उपेक्षित वंचित घटक |
प्रा. डॉ. विजय माने |
110-115 |
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26 |
‘निलोफर’ उपन्यास में चित्रित विमुक्त और घुमन्तू जनजातिय परिवार |
डॉ .कल्पनापाटोळे |
116-118 |
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27 |
खानाबदोश नटों के जीवन का यथार्थ दस्तावेज :शैलूष |
डॉ.मालोजी अर्जुन जगताप |
119-121 |
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28 |
गोहुअन (उपन्यास) औरआदिवासीस्त्रीकाविद्रोह |
डॉ . इबरारखान |
122-125 |
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29 |
“घुमंतू जनजाति का दहकता दस्तावेज : पराया” |
डॉ.गायकवाड शितल माधवराव |
126-129 |
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30 |
विमुक्त घुमंतू समुदाय का जीवन दर्शन |
डॉ विश्वनाथ किशन भालेराव |
130-134 |
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31 |
घुमंतू बंजारा समाज की संस्कृति |
प्रा. डॉ. महावीर रामजी हाके |
135-137 |
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32 |
विमुक्त और घुमंतू जन समुदाय की दशा और दिशा |
डॉ. शिंदे मालती धौंडोपन्त |
138-145 |
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33 |
भारतीय साहित्य में विमुक्त घुमंतू समुदाय जीवन |
डॉ . संतोषबबनरावमाने. |
146-148 |
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34 |
नंदीवाला समाज की बोली का अध्ययन |
डॉ . सविताकृष्णातपाटील |
149-151 |
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35 |
‘उपेक्षित विमुक्त -घुमंतू समुदाय की दास्तान हिंदी साहित्य के परिप्रेक्ष्य में’ |
डॉ.सूर्यकांत शिंदे |
152-155 |
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36 |
विमुक्त और घुमंतू जन समुदाय: दशा और दिशा (‘उचक्का’ आत्मकथा के संदर्भ में) |
सुभाष विष्णु बामणेकर |
156-159 |
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37 |
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और घुमंतू समुदाय |
अनिल विठ्ठल मकर |
160-162 |
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38 |
" 'उचक्का' आत्मकथा में चित्रित जनजातीय समस्याएँ " |
प्राजक्ता अंकुश रेणुसे |
163-165 |
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39 |
वंचितों ,घुमन्तु आदिवासी जनजाति का साहित्य : एक विवेचन |
प्रा . अमलपुरे सूर्यकांत विश्वनाथ |
166-168 |
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40 |
विमुक्त एवं घुमंतू समुदाय : अवधारणा एवं स्वरूप |
डॉ. निशाराणी महादेव देसाई |
169-171 |
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41 |
मराठी घुमंतू समुदाय के गीतों द्वारा प्रबोधन |
पूनम शर्मा
संतोष वसंत कांबले |
172-175 |
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42 |
भटक्या - विमुक्तांची आत्मकथने |
डॉ. आर. के. शानेदिवाण |
176-179 |
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43 |
घुमंतू की वर्तमान दशा और दिशा |
प्रा.डॉ. अशोक तुकाराम जाधव |
180-183 |
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44 |
‘चानी’ चित्रपटातून साकारलेली वारली जमातीचे जीवनदर्शन |
कु. नम्रता देविदास ढाळे |
184-188 |
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45 |
मराठी साहित्यातील भटक्या विमुक्तांची पृथगात्मकता : शंकरराव खरातांच्या संदर्भात |
डॉ. चंद्रशेखर मधुकर भारती |
189-191 |
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46 |
शौक से नहीं, विवशता से घूमती है घुमंतू जनजातियाँ |
डॉ. दीपक रामा तुपे |
192-195 |
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47 |
भटक्या विमुक्त जमातीच्या समस्या:- एक समाजशास्त्रीय अभ्यास |
प्रा.हरिश्चंद्र व्यंकटराव चामे |
196-199 |
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48 |
''भटक्या विमुक्तांची चळवळ |
बाळकृष्ण रेणके |
200-202 |
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49 |
भटक्या- विमुक्त जमातींची संस्कृती (बेरड, वैदू, बंजारा) |
प्रा. प्रियांका अशोक कुंभार |
203-207 |
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50 |
महाराष्ट्र के विमुक्त घुमंतू की पहचान |
सूर्यकांत भगवान भिसे |
208-210 |
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51 |
कबूतरा आदिवासी जाति की यथार्थ दासता : अल्मा कबूतरी (उपन्यास) |
श्री नीलेश जाधव |
211-213 |
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52 |
भटक्या विमुक्त जाती-जमातीचे सामाजिक जीवन चित्रण (निवडक साहित्यकृतींच्याआणिअनुषंगाने) |
डॉ शर्मीला बाळासाहेब घाटगे |
214-217 |
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53 |
‘घुमन्तु जनजातियों में बंजारा जनजातिका सामाजिक एवं अभिक्षेत्रिय अध्ययन ’ |
डॉ. संदीप मसराम |
218-220 |
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54 |
भारत के घुमंतू नारियों का जीवन |
डॉ . युवराजमाने
देवनाथ कडेल |
221-223 |
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55 |
मराठी कादंबरीत चित्रित भटक्या - विमुक्त जमातींचे सामाजिक जीवन |
डॉ . स्वप्निलबुचडे |
224-230 |
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56 |
स्वातंत्र्यलढ्यामध्ये आदिवासी भटक्या जमातींचा सहभाग |
प्रा. अश्विनी रामचंद्र खवळे |
231-233 |
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57 |
नाथपंथी डवरी गोसावी’ जमातीचे प्रतिनिधित्व करणारी 'देशोधडी |
डॉ. पल्लवी कोडक |
234-240 |
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58 |
Unheard Voice of Subaltern in Kishore Shantabai Kale’s Against All Odds |
डॉ. कविता तिवडे
डॉ. सलमा मणेर |
241-246 |
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59 |
Nomadic Tribes and Deprived Castes: A Social Perspective |
माधुरी पवार |
247-250 |
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60 |
Akhila, a Nomad: Exploring the Element of Nomadism in Anita Nair’s Ladies Coupe |
सुप्रिया पाटील
डॉ. श्रुती जोशी |
251-256 |
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61 |
मराठी साहित्य मे घुमंतू जनसमुदाय |
प्रा. हंबीरराव चौगले |
257-259 |
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62 |
घुमन्तू जनजातियों का सांस्कृतिक दर्शन |
नीता देशभ्रतार |
260-264 |
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